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JusticeJunction24

बिहार में करप्शन ही करपशन ।

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बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों की कमी नहीं है. जो पकड़े जा रहे उनकी पोल खुल जा रही, बाकी माल कमा कर साफ बच जा रहे. बेतिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी रहे रजनीकांत प्रवीण की खूब चर्चा हो रही है. चर्चा हो भी क्यों नहीं...विशेष निगरानी इकाई की छापेमारी में जिला शिक्षा पदाधिकारी के ठिकानों से नकदी 3 करोड़ 60 लाख मिले हैं. जमीन-जायदाद की बात छोड़ दीजिए. वैसे बता दें, शिक्षा विभाग के इस अफसर ने ही मलाई नहीं खाई है, बल्कि कई जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों ने हाल के वर्षों में जमकर कमाई की है. पटना से लेकर राज्य के बाहर तक पत्नी से लेकर खास सेवकों के नाम पर अकूत संपत्ति अर्जित की है. एक और जिला शिक्षा पदाधिकारी की चर्चा कर लेते हैं...पोस्टिंग के दौरान उक्त डीईओ के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगे, दोनों हाथों से माल कमाने का आरोप लगा, पटना में अकूत संपत्ति अर्जित करने की भी बात सामने आई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

एक और DEO पर 'माल कमा' कर खपाने की चर्चा

शिक्षा विभाग के एक ऐसे ही शिक्षा पदाधिकारी चंपारण में पदस्थापित थे. कार्यालय के कर्मचारी-पदाधिकारी बताते हैं कि अपने पदस्थापन काल में उक्त शिक्षा अधिकारी ने जमकर माल बनाया. राजधानी पटना में करोड़ों की प्रॉपर्टी अर्जित की. कई प्लॉट पत्नी तो बाकी अपने रिश्तेदारोंं के नाम पर अर्जित की, अपने कार्यालय के एक सेवक के साथ भी राजधानी में संपत्ति बनाई। इसके अलावे कई तरह के आरोप भी लगे, जिला शिक्षा कार्यालय के लिपिक 'मिश्रा बंधू'  से विवाद में भी चर्चा में रहे, मुजफ्फरपुर के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने भी तत्कालीन डीईओ के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की थी. हालांकि उच्च सेटिंग की बदौलत सबसे अच्छी जगह पर डीईओ में पोस्टिंग पाकर मजा ले रहे. बता दें, उनके काल में सरकारी विद्यालयों में विकास के नाम पर खूब खेल किया गया था. माफिया से मिलकर जमकर माल उगाही की गई थी. उक्त जिले में हुए भ्रष्टाचार की पोल भी खुली थी. शिक्षा मंत्री से कार्रवाई की मांग भी हुई थी.इसी दौरान धनकुबेर शिक्षा अधिकारी ने स्थानांतरण करा लिया. लिहाजा मामला दब गया. बेंच-डेस्क सप्लाई में खेल  करने के आरोप में चंपारण के एक जिले के वर्तमान डीईओ के खिलाफ शिक्षा विभाग ने हाल ही में विभागीय कार्यवाही शुरू की  है, हालांकि पूर्व वाले हाकिम आराम से निकल गए और सबसे महत्वपूर्ण जिले में उसी पद पर ड्यूटी बजा रहे हैं. बेचारे वर्तमान जिला शिक्षा पदाधिकारी परेशान हैं, क्यों कि जिन पर गंभीर आरोप थे, वे अब तक बचे हैं, और विभाग ने सिर्फ उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया है

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