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सनातन धर्म में कई परंपराएं और मान्यताएं है, इन्ही में एक है सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सुहागिन महिलाएं  जिस स्थान पर बिंदी लगाती है उससे कई तरह की बिमारी दूर होती है 

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 27 जुलाई ::

सनातन धर्म में कई परंपराएं और मान्यताएं है, इन्ही में एक है सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार। यह श्रृंगार धार्मिक महत्व, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शास्त्रों से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, सुहागिन महिलाएं सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मंगलसूत्र, पायल और बिछिया को श्रृंगार में शामिल करती है, क्योंकि ये सभी चीजों को सुहाग की प्रतीक मानती है।

बिंदी का अर्थ बूंद या कारण से होता है। सनातन धर्म में शादीशुदा महिलाएं लाल रंग की बिंदी लगाती है, क्योंकि लाल रंग  का संबंध माता लक्ष्मी से होता है और ज्योतिष में लाल रंग मंगल ग्रह का कारक माना जाता है, इसलिए लाल रंग के बिंदी लगाने से जीवन में खुशियाली आती है।
यह बिंदी दोनों भौंह की बीच में लगाया जाता है, जो शरीर का छठा चक्र होता है, जिसे सामान्यतः आज्ञा चक्र, भौंह चक्र और तीसरा नेत्र कहा जाता है।लाल बिंदी लगाने से आंतरिक ज्ञान को बढ़ाने वाली शक्तियों का विकास होता है, इसलिए काले रंग की बिंदी लगाना सुहागिनों के लिए अपशकुन माना जाता है।

वैज्ञानिक आधार के अनुसार, माथे के बीचों बीच पिनियल ग्रंथि होती है। बिंदी लगाते समय दबाव पड़ने से यह ग्रंथि तेजी से काम करती है। इससे दिमाग शांत होता है और काम में एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही इससे गुस्सा और तनाव भी काम होता है।

एक्युप्रेसर सिद्धांत के अनुसार, माथे पर जहां बिंदी लगाई जाती है वहां पर एक विशिष्ट बिंदु होता है, यह बिंदु सिर दर्द में राहत देता है क्योंकि यहां बिंदी लगाने से नसों और रक्त वाहिकाओं का अभिसरण होता है। शिरोधरा विधि के अनुसार, माथे के इस बिंदी वाले स्थान पर दबाव बनाने से अनिद्रा की समस्या दूर होती है।

बिंदी जिस स्थान पर लगाई जाती है उस स्थान से कान से संबंधित नस भी गुजरती है जिस पर दवाब पड़ने से सुनने की क्षमता बढ़ती है और साइनस जैसी समस्या में भी फायदा मिलता है। सुहागिन महिलाओं को चूड़ियां पहनना भी श्रृंगार का अहम हिस्सा है। हाथ में चूड़ी पहनने की परंपरा वैदिक युग से ही चला आ रहा है। कहा जाता है कि चूड़ियां पहनने से उसकी खनखन से कई बाधाएं दूर होती है, वहीं वैवाहिक जीवन में प्यार  बढ़ता है और पति की आयु भी बढ़ता है। 

देवी दुर्गा के श्रृंगार के सामानों में 
सिंदूर, चूड़ी, बिंदी अवश्य रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हरी चूड़ियों के दान से बुध देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुहागिन महिलाओं को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। वहीं वास्तुशास्त्र के अनुसार, चूड़ियों की खनखन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जो महिलाएं चूड़ियां पहनती हैं, उनका स्वास्थ्य अनुकूल बना रहता है। क्योंकि चूड़ी पहनने से सांस और दिल संबंधित होने वाली परेशानियां कम होती है।चूड़ी पहनने से मानसिक संतुलन भी ठीक रहता है और इससे महिलाओं को कम थकान महसूस होती है। विज्ञान के अनुसार, कलाई से नीचे 6 इंच तक एक्युप्रेशर प्वाइंट्स होते हैं। इन पर दवाब पड़ने से शरीर स्वस्थ रहता है। ऐसे में हाथों में चूड़ियां पहनने से महिलाएं ऊर्जावान बनी रहती है।

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