पटना, २१ नवम्बर। छंद पद्य रचनाओं की आत्मा है। छंदोबद्ध रचनाएँ साहित्य को लम्बी आयु और स्थायित्व प्रदान करती हैं। संपूर्ण संस्कृत साहित्य छंदोबद्ध पद्य हैं। यदि वेद-वेदांग छंद में न होते तो आज हमारे समक्ष जीवित न होते। ये गेय होने के कारण एक पीढ़ी के कंठ से अगली पीढ़ी के कंठ तक होते हुए हम तक पहुँची। इसलिए काव्य में छंद का महत्त्व सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। यदि हम काव्य-साहित्य को बचाना चाहते हैं तो हमें छंद से जुड़ना होगा। यह बातें रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य अध्यक्ष ,अनिल सुलभ जी की पहल , रिपॉट रीता सिंह