राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित आयुर्वेद पर्व 2021 में मुख्यमंत्री को अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष पद्म भूषण वैद्य श्री देवेंद्र त्रिगुणा ने पौधा, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर उनका अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने भगवान धन्वंतरि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। आयुर्वेद पर्व 2021 में राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना की छात्राओं द्वारा धन्वंतरि वंदना का गायन किया गया। मुख्यमंत्री सहित आगत अतिथियों द्वारा स्मारिका ‘आयुर्वेद के बढ़ते कदम का विमोचन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर में पंच पर्वत है। बचपन से मेरा यहां आना-जाना लगा रहा है। पिताजी ने बताया था कि यहां जड़ी बूटियों का अपार भंडार है। राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय अस्पताल पटना में भी हमने देखा कि राजगीर से ही औषधियां तैयार करने के लिए जड़ी बूटियों को लाया गया है। यहां के पंच पर्वत पर चिरौंजी, गिलोय, संजीवनी जैसी अनेक प्रकार की महत्वपूर्ण जड़ी बूटियां उपलब्ध हैं। अभी जो लोग जानकार हैं वे अपने-अपने तरीके से यहां से जड़ी बूटियां लेकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमने तय कर दिया है कि यहां जितने औषधीय पौधे हैं उनका आकलन करके उनका ठीक ढंग से • रखरखाव सुनिश्चित किया जाय। जिलाधिकारी को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस ने आयुर्वेद पर्व में अनेक राज्यों से लोग पहुंचे हैं, इन्हें राजगीर के वेणुवन, जू सफारी, नेचर सफारी, ग्लास स्काई वॉक जैसे अन्य प्रमुख स्थलों का भ्रमण कराने का प्रबंध करें। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में हम यहां आकर 7 दिनों तक रहे थे। उस दौरान हमने एक-एक चीज को जाकर देखने के बाद कई फैसले लिए। उसके अनुसार यहां पर विकास का काम किया गया। उन्होंने कहा कि जू सफारी में शेर, बाघ, तेंदुआ और हिरण खुले में विचरण करेंगे और पर्यटक गाड़ी मैं बैठकर उन्हें नजदीक से
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर से सभी धर्मों का संबंध रहा है। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति से पहले और बाद में यहां आकर निवास किया था। भगवान महावीर से भी इस धरती का रिश्ता है। यहां पर्वतों पर काफी संख्या में जैन मंदिर हैं। महान सूफी संत मकदूम साहब को यहीं ज्ञान की प्राप्ति हुई। उस जगह पर मकदूम कुंड है। गुरुनानक देव जी महाराज भी यहां आये थे उस जगह पर शीतल कुंड अवस्थित है। शीतल कुंड को छोड़कर अन्य सभी गर्म कुंड हैं। प्रत्येक 3 साल में यहां मलमास का मेला लगता है। मान्यता है कि पूरे एक माह तक यहां 33 करोड़ देवी देवता वास करते हैं। यह शासन का भी केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि नेचुरोपैथी को भी पूरे तौर पर बढ़ावा देना चाहिए। साउथ अफ्रिका से आने के बाद गांधी जी ने ही नेचुरोपैथी की शुरुआत कराई थी। गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश के बाद भागलपुर में तपोवर्द्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना हुई थी। इसके विस्तार के लिए हम बराबर प्रयास करेगे, RDNews24 ,com