दिल्ली : मां का ख्याल रखने को बड़े घर की नहीं, बड़े दिल की जरूरत होती है। एक 89 वर्षीया महिला की बेटे द्वारा सेवा न किए जाने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। बुजुर्ग महिला की बेटियों ने अदालत में अर्जी दाखिल कर कहा था कि उनका भाई मां का ख्याल नहीं रख रहा है, ऐसे में उन्हें उनकी कस्टडी देनी चाहिए। बेटियों का कहना था कि उनके भाई ने मां की बड़ी संपत्ति अपने नाम करा ली है, लेकिन अब उनकी देखभाल नहीं कर रहा है। इस पर अदालत ने आदेश दिया है कि अब महिला की कोई भी चल या अचल संपत्ति ट्रांसफर नहीं हो पाएगी। इसके अलावा उसने मां की कस्टडी बेटियों को सौंपने को लेकर बेटे से जवाब मांगा है। मां डिमेंशिया से पीड़ित है। कोर्ट ने कहा कि अब बेटियां मां की जिम्मेदारी संभालें। आप भी उनसे मुलाकात कर सकते हैं। इस पर बेटे की ओर से वकील शोएब कुरैशी ने कहा कि बेटियों अपने परिवारों के साथ रहती हैं और उनके पास उन्हें रखने के लिए स्पेस नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि आपके पास कितना एरिया है बल्कि सवाल यह है कि आपके पास मां की देखभाल करने के लिए कितना बड़ा दिल है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने बेटे से नोटिस का जवाब देने को