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केंद्रीय मंत्री अमित शाह निकले दौरे पर ,

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चीन के कम्युनिस्ट नेता माओत्से तुंग के विचारों से प्रभावित हो भारत के कम्युनिस्ट नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने सशस्त्र संगठन तैयार किया और सामंती ताकतों व नौकरशाहों के शोषण-दमन के खिलाफ सन् 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव में हमला कर क्रांति का नींव रखा और इस जीत से हौसलांवित हो अपने को ” नक्सली ” नाम दिया। पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से निकली यह आग देखते ही देखते कई राज्यों को अपने लपेटे में ले लिया और सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी इस क्रम में नक्सलियों का कई संगठन स्वरूप में आया ,आपसी संघर्ष भी किया लेकिन 2004 के गुप्त बैठक में नक्सलियों के अधिकांश संगठनों ने एक मत हो एक संगठन बनाने पर सहमति बनाया और नाम दिया ” माओवादी ” । नक्सलियों की बात करें तो 50 वर्षों के संघर्ष -संग्राम के बीच सन् 2019 तक 11 राज्यों में फैलाव किया इसमें 90 जिले में माओवादी संगठन के प्रभाव की बात सामने आयीं हैं । बीते वर्ष 2021 में माओवादियों ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ के 168 वीं बटालियन पर हमला कर दिया इसमें जवान शहीद हुये और 31 जवान घायल हुये ।

सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दिया की बिहार के नक्सल प्रभावित चक्रबंधा और भीमबांध को मुक्त कर दिया गया हैं  । सीआरपीएफ के लंबे संघर्ष ,कार्रवाई और कुर्बानी के बाद झारखंड के बुढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से आजाद कर दिया गया हैं । जगह -जगह पर सीआरपीएफ के कैंप स्थापित हो गये हैं स्थानीय पुलिस ,इन जगहों पर कहीं भी गस्ती कर सकती हैं ।  इस संदर्भ में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा की बिहार नक्सल मुक्त ,चक्रबंधा और भीमबांध मुक्त । अमित शाह के बयान से  बिहार में  एक लंबे भयमुक्त काल की समाप्ति से आम लोगों में खुशियां ,सुखी और विकास की कल्पना जरूर की जा सकती हैं ,यह बिहारवासियों के लिए एक बड़े तोहफा से कम नहीं हैं । लेकिन एक बड़ा सवाल और संकट यह है की बिहार के ऐ हार्डकोर नक्सली प्रमोद मिश्रा ,बलराज सिंह ,बेसरा, गोपाल पासवान ,विरेन्द्र उर्फ सौरभ की क्या स्थिति हैं ।

मिश्रा ,औरंगाबाद जिले के रफीगंज थाने के कसमा का रहने वाला हैं । माओवादी संगठन में प्रमोद मिश्रा की हैसियत सेंट्रल कमिटी मेंबर सह पोलित ब्यूरो मेंबर सह गुरिल्ला आर्मी चीफ की हैं । नेपाल संघर्ष और माओवादी संगठन का नेपाल सत्ता में लाने में अहम योगदान प्रमोद मिश्रा का रहा था। जानकार तो यहां तक बताते है की प्रमोद मिश्रा की नीति ने नेपाल सैन्य को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया था । प्रमोद मिश्रा को गिरफ्तार करने में पुलिस तो जरूर कामयाब रही लेकिन गंभीर आरोपों के बावजूद प्रमोद मिश्रा 8 वर्ष जेल में रहने के बाद जमानत पर छूट गया । एक वर्ष तक अपने गांव में रहा और अचानक जंगल की राह पकड़ लिया। डेढ़ करोड़ का इनामी अरविंद को पुलिस जिंदा नहीं पकड़ पायी । बुढ़ा पहाड़ पर हार्ड अटैक आया और मौत हो गयी । माओवादी संगठन ने अरविंद के जगह गोपाल पासवान को नियुक्त किया हैं । अरविंद गया जिले का रहने वाला हैं और माओवादी संगठन में इसका हैसियत बिहार -झारखंड स्पेशल एरिया कमिटी सह मिलिट्री इंचार्ज की हैं । इसके ऊपर पुलिस इसकी पहचान दुर्दांत नक्सली का हैं । ऐ सभी नक्सली पुलिस पकड़ से दूर है और पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार वर्तमान में फरार चल रहे हैं ।

उक्त सभी फरार माओवादी ,दुर्दांत किस्म के हैं । जब तक इन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाता हैं । राज्य को नक्सलमुक्त की संज्ञा में रखना या कल्पना पालना अंधेरे में तीर मारने के समान हैं और नजर अंदाज करना एक बड़ी भूल साबित हो सकती हैं । यह बात गौर करनेवाली है की अप्रैल 2022 में रोहतास जिले से जब माओवादी संगठन के सेंट्रल कमिटी मेंबर विजय आर्य को पुलिस ने गिरफ्तार किया था तो विजय आर्य के पुलिस के समक्ष स्वीकृति बयान दिया था की संगठन के मजबूती और सोन, गंगा ,विंध्याचल जोनल एड्हाक कमिटी को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रहा हैं । ... RDNEWS24.COM

 

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