जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (खगौल), 29 अप्रैल ::
सीता अवतरण दिवस सह भारतीय स्त्री दिवस पर खगौल "सीता तीर्थ न्यास" की ओर से आयोजित सीता संवाद के अवसर पर ‘आस्तिकता के आयाम; विषय पर आयोजित गोष्ठी में महामंडलेशवर महन्थ डॉ.शुकदेव महाराज ने अपने उद्घाटन संवोधन में कहा कि हमारे पूर्वजों,ऋषि मुनियों और महापुरुषों के अनुसार आस्तिकता का अर्थ एक विश्वास ,साधन, एक व्यक्ति के जीने की कला है साथ ही राष्ट्र को समृद्ध करने की एक सही व्यवस्था है, जहां पर हम अपने समस्त समाज, घर-परिवार के साथ ईमानदारी, निःस्वार्थ भाव के साथ सही रास्ते पर सही दिशा में चल कर जब लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं तो, इसी से आस्तिकता का साक्षात स्वरूप स्थापित हो जाता है | यही सब आस्तिकता के आयाम हैं | देश के साधू संत, गुरुजनों, अच्छे गृहस्थों, सदाचारी के घरों और मंदिरों में, शिक्षा, समाज उत्थान के साथ साथ बहुत बड़े आयोजनों में भी आस्तिकता दिखता है। इसलिए हमारे प्रत्येक भारतीय आस्तिक हैं और इसी आस्तिकता के साथ जीवन जी रहे हैं।
पटना की मेयर सीता साहू ने माता सीता के परिपेक्ष में – कहा कि एक स्त्री माँ, बहन,बेटी के एक रूप में सर्वस्व है। इसी माँ के जीवन से संसार है....गीत गा कर अपनी विचार रखी।
रत्नापुरुकस्था ने कहा कि ईश्वर से पहले एक व्यक्ति के प्रति आस्तिक होना सब से जरूरी है। गोष्ठी में प्रो. मधुर वर्मा, कृषण कान्त ओझा, चंद्र्शेखर, अभिजीत कश्यप, रौशन सिंह आदि ने भी अपने-अपने विचार रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीता तीर्थ न्यास के संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो.संजय पासवान ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अनिल कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन पल्लवी विश्वास ने की